पहुंची ससुराल फिर भी ड्रॉपआउट
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे की पोल
आधे भी नहीं पहुंचे स्कूल
कार्यालय संवाददाता टोंक
झूठे आंकड़ों के दम पर बच्चों को स्कूलों तक लाने का अभियान सुपर ‘लाप’ साबित हुआ है। एक जुलाई से शुरू हुए प्रवेशोत्सव अभियान की विफलता अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पहले दिन मात्र दो विद्यार्थी ही स्कूल से जुड़े। यद्यपि शिक्षा विभाग ने आधी सफलता का दावा किया है, लेकिन इसमें भी आंकड़ों की बाजीगरी दिखाई गई है।
दुधमुंहा भी सूची में शामिल
सर्वशिक्षा अभियान के तहत गत साल बड़े जोर-शोर से चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत अध्यापकों से ड्रॉप आउट बच्चों का सर्वे कराया। सर्वे पर पांच लाख रुपए से अधिक खर्च किए गए। जुलाई में जब बच्चों को स्कूल से जोडऩे का समय आया तो चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे की पोल खुल गई। सूत्रों ने बताया कि टोंक शहर, चिरोंज, देवली-भांची, पीपलू व मेहंदवास क्षेत्र के स्कूलों की सूची पूरी तरह फर्जी निकली। सूची में चिरोंज गांव के राहुल नामक एक बच्चे की उम्र नौ साल दर्ज थी लेकिन जब अध्यापक उसके घर पहुंचे तो राहुल दुधमुंहा अर्थात दो साल का निकला।
पहुंची ससुराल फिर भी ड्रॉपआउट
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे में फर्जीवाडे की तब हद हो गई जब उन बालिकाओं को ड्रॉपआउट बता दिया गया जो वर्षों पहले ससुराल चली गई। इसका खुलासा तब हुआ जब ड्रॉपआउट सूची में शामिल उनियारा तहसील के लक्ष्मीपुरा गांव की खुशबू पुत्री रामभज भील को स्कूल में नामांकित करने के लिए अध्यापक उसके घर पहुंचे। वहां पता चला कि खुशबू दो साल पहले ही ससुराल चली गई। आठवीं पास कर चुकी खुशबू की उम्र सर्वे सूची में 13 साल बताई गई जबकि वास्तव में उसकी उम्र 17 साल है। इसी गांव की सीमा पुत्री इन्द्रप्रकाश शर्मा के साथ भी यही हुआ। सत्रह वर्ष की सीमा भी ससुराल में है लेकिन उसका नाम ड्रॉपआउट सूची में 13 वर्ष की उम्र के साथ दर्ज है। इसी तहसील के खातोली गांव की मनीषा बैरवा पुत्री रामकल्याण बैरवा भी पांचवीं कक्षा पास करके सत्रह वर्ष की उम्र में छह माह पहले ससुराल चली गई लेकिन उसकी उम्र भी 13 साल बताकर उसे भी ड्रॉपआउट सूची में दर्ज किया हुआ है।
आधे भी नहीं जुड़े
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत टोंक ब्लॉक में 7 हजार 40 बच्चों को स्कूल से जोड़ा जाना था, लेकिन मात्र 3 हजार 266 बच्चों को स्कूल से जोड़ा गया है। इसी प्रकार निवाई में 3 हजार 932 की तुलना में 1 हजार 788, मालपुरा में 3 हजार 828 की तुलना में 1 हजार 692, टोडारायसिंह में 1 हजार 729 की तुलना में 777, उनियारा में 3 हजार 352 की तुलना में 2 हजार 243 ड्रॉप आउट को जोड़ा गया है।
ड्रॉपआउट सूची में फर्जी नाम
जिला शिक्षा अधिकारी जगदीशलाल वर्मा ने बताया कि चाइल्ड ट्रेकिंग सर्वे सूची में फर्जी नामों की भरमार है। इस वजह से ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूलों तक लाने का अभियान पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। अब उन अध्यापकों की पहचान की जा रही है जिन्होंने फर्जी नाम सूची में शामिल किए। जैसे ही उनका पता चलेगा, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे की पोल
आधे भी नहीं पहुंचे स्कूल
कार्यालय संवाददाता टोंक
झूठे आंकड़ों के दम पर बच्चों को स्कूलों तक लाने का अभियान सुपर ‘लाप’ साबित हुआ है। एक जुलाई से शुरू हुए प्रवेशोत्सव अभियान की विफलता अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पहले दिन मात्र दो विद्यार्थी ही स्कूल से जुड़े। यद्यपि शिक्षा विभाग ने आधी सफलता का दावा किया है, लेकिन इसमें भी आंकड़ों की बाजीगरी दिखाई गई है।
दुधमुंहा भी सूची में शामिल
सर्वशिक्षा अभियान के तहत गत साल बड़े जोर-शोर से चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत अध्यापकों से ड्रॉप आउट बच्चों का सर्वे कराया। सर्वे पर पांच लाख रुपए से अधिक खर्च किए गए। जुलाई में जब बच्चों को स्कूल से जोडऩे का समय आया तो चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे की पोल खुल गई। सूत्रों ने बताया कि टोंक शहर, चिरोंज, देवली-भांची, पीपलू व मेहंदवास क्षेत्र के स्कूलों की सूची पूरी तरह फर्जी निकली। सूची में चिरोंज गांव के राहुल नामक एक बच्चे की उम्र नौ साल दर्ज थी लेकिन जब अध्यापक उसके घर पहुंचे तो राहुल दुधमुंहा अर्थात दो साल का निकला।
पहुंची ससुराल फिर भी ड्रॉपआउट
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे में फर्जीवाडे की तब हद हो गई जब उन बालिकाओं को ड्रॉपआउट बता दिया गया जो वर्षों पहले ससुराल चली गई। इसका खुलासा तब हुआ जब ड्रॉपआउट सूची में शामिल उनियारा तहसील के लक्ष्मीपुरा गांव की खुशबू पुत्री रामभज भील को स्कूल में नामांकित करने के लिए अध्यापक उसके घर पहुंचे। वहां पता चला कि खुशबू दो साल पहले ही ससुराल चली गई। आठवीं पास कर चुकी खुशबू की उम्र सर्वे सूची में 13 साल बताई गई जबकि वास्तव में उसकी उम्र 17 साल है। इसी गांव की सीमा पुत्री इन्द्रप्रकाश शर्मा के साथ भी यही हुआ। सत्रह वर्ष की सीमा भी ससुराल में है लेकिन उसका नाम ड्रॉपआउट सूची में 13 वर्ष की उम्र के साथ दर्ज है। इसी तहसील के खातोली गांव की मनीषा बैरवा पुत्री रामकल्याण बैरवा भी पांचवीं कक्षा पास करके सत्रह वर्ष की उम्र में छह माह पहले ससुराल चली गई लेकिन उसकी उम्र भी 13 साल बताकर उसे भी ड्रॉपआउट सूची में दर्ज किया हुआ है।
आधे भी नहीं जुड़े
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत टोंक ब्लॉक में 7 हजार 40 बच्चों को स्कूल से जोड़ा जाना था, लेकिन मात्र 3 हजार 266 बच्चों को स्कूल से जोड़ा गया है। इसी प्रकार निवाई में 3 हजार 932 की तुलना में 1 हजार 788, मालपुरा में 3 हजार 828 की तुलना में 1 हजार 692, टोडारायसिंह में 1 हजार 729 की तुलना में 777, उनियारा में 3 हजार 352 की तुलना में 2 हजार 243 ड्रॉप आउट को जोड़ा गया है।
ड्रॉपआउट सूची में फर्जी नाम
जिला शिक्षा अधिकारी जगदीशलाल वर्मा ने बताया कि चाइल्ड ट्रेकिंग सर्वे सूची में फर्जी नामों की भरमार है। इस वजह से ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूलों तक लाने का अभियान पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। अब उन अध्यापकों की पहचान की जा रही है जिन्होंने फर्जी नाम सूची में शामिल किए। जैसे ही उनका पता चलेगा, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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