कार्यालय संवाददाता @ भरतपुर
सर्व शिक्षा अभियान की ओर से कराए गए चाइल्ड ट्रेकिंग सर्वे में हुई आंकड़ों की फर्जकारी के खेल को भरतपुर पत्रिका में १२ जुलाई को ‘खुली आंकड़ों की फर्जकारी’ शीर्षक से प्रकाशित कर जगजाहिर किया गया। इसके बाद हरकत में आए सर्व शिक्षा अभियान के अधिकारी अब जिलेभर में शिक्षकों से चार तरह के प्रपत्र भरवा रहे हैं। यह काम ३१ जुलाईतक चलेगा।
आंकड़ेबाजी के इस खेल का खुलासा भरतपुर में उस समय हुआ, जब राजस्थान पत्रिका के ‘आओ पढ़ाएं, सबको बढ़ाएं’ अभियान के तहत फोटो जर्नलिस्ट के साथ संवाददाता शहर के कई स्कूलों में सरकारी स्तर पर हुए नामांकन के प्रयासों की स्थिति देखने पहुंचा। इन स्कूलों में पता चला कि ऐसे बच्चों का सर्वे में नाम शामिल कर लिया गया, जो पहले से पढ़ रहे हैं। इतना ही ओवरऐज व अण्डरएज के भी कई मामले सामने आए। सर्वे में ऐसे भी बालकों के नाम मिले, जो संबंधित वार्डों में रहते ही नहीं हैं। इसी उदाहरणों को लेकर भरतपुर पत्रिका में १२ जुलाई, ०७ को ‘खुली आंकड़ों की फर्जकारी’ शीर्षक समाचार प्रकाशित किया तो शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। उसी दिन प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के आदेश देते हुए सर्व शिक्षा अभियान के अतिरिक्त परियोजना समन्वयक से मामले की रिपोर्ट मांगी। इसे १३ जुलाई को ‘डीईओ ने मांगी रिपोर्ट’ शीर्षक से प्रकाशित किया। इस पर हरकत में आए सर्व शिक्षा अभियान ने मामले की जांच शुरू कर दी, जिसे १४ जुलाई के अंक में ‘फर्जीकारी की जांच शुरू’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया। इतना ही नहीं सर्व शिक्षा अभियान सर्वे को लेकर जिलेभर में शिक्षकों से चार तरह के नए प्रपत्र भरवा रहा है ताकि मूल सर्वे की वास्तविकता का पता चले सके। इस खबर को १७ जुलाई के अंक में ‘भरवा रहे नए प्रपत्र’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया। प्रपत्र भरने का यह काम शिक्षकों को ३१ जुलाई तक पूरा करना है। इसके बाद ही इसकी वास्तविक स्थिति सामने आ सकेगी।
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