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Monday, 1 August 2011

Tonk - Expose of Government's Child Tracking System

पहुंची ससुराल फिर भी ड्रॉपआउट
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे की पोल
आधे भी नहीं पहुंचे स्कूल
कार्यालय संवाददाता टोंक

झूठे आंकड़ों के दम पर बच्चों को स्कूलों तक लाने का अभियान सुपर ‘लाप’ साबित हुआ है। एक जुलाई से शुरू हुए प्रवेशोत्सव अभियान की विफलता अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पहले दिन मात्र दो विद्यार्थी ही स्कूल से जुड़े। यद्यपि शिक्षा विभाग ने आधी सफलता का दावा किया है, लेकिन इसमें भी आंकड़ों की बाजीगरी दिखाई गई है।
दुधमुंहा भी सूची में शामिल
सर्वशिक्षा अभियान के तहत गत साल बड़े जोर-शोर से चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत अध्यापकों से ड्रॉप आउट बच्चों का सर्वे कराया। सर्वे पर पांच लाख रुपए से अधिक खर्च किए गए। जुलाई में जब बच्चों को स्कूल से जोडऩे का समय आया तो चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे की पोल खुल गई। सूत्रों ने बताया कि टोंक शहर, चिरोंज, देवली-भांची, पीपलू व मेहंदवास क्षेत्र के स्कूलों की सूची पूरी तरह फर्जी निकली। सूची में चिरोंज गांव के राहुल नामक एक बच्चे की उम्र नौ साल दर्ज थी लेकिन जब अध्यापक उसके घर पहुंचे तो राहुल दुधमुंहा अर्थात दो साल का निकला।
पहुंची ससुराल फिर भी ड्रॉपआउट
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे में फर्जीवाडे की तब हद हो गई जब उन बालिकाओं को ड्रॉपआउट बता दिया गया जो वर्षों पहले ससुराल चली गई। इसका खुलासा तब हुआ जब ड्रॉपआउट सूची में शामिल उनियारा तहसील के लक्ष्मीपुरा गांव की खुशबू पुत्री रामभज भील को स्कूल में नामांकित करने के लिए अध्यापक उसके घर पहुंचे। वहां पता चला कि खुशबू दो साल पहले ही ससुराल चली गई। आठवीं पास कर चुकी खुशबू की उम्र सर्वे सूची में 13 साल बताई गई जबकि वास्तव में उसकी उम्र 17 साल है। इसी गांव की सीमा पुत्री इन्द्रप्रकाश शर्मा के साथ भी यही हुआ। सत्रह वर्ष की सीमा भी ससुराल में है लेकिन उसका नाम ड्रॉपआउट सूची में 13 वर्ष की उम्र के साथ दर्ज है। इसी तहसील के खातोली गांव की मनीषा बैरवा पुत्री रामकल्याण बैरवा भी पांचवीं कक्षा पास करके सत्रह वर्ष की उम्र में छह माह पहले ससुराल चली गई लेकिन उसकी उम्र भी 13 साल बताकर उसे भी ड्रॉपआउट सूची में दर्ज किया हुआ है।
आधे भी नहीं जुड़े
चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत टोंक ब्लॉक में 7 हजार 40 बच्चों को स्कूल से जोड़ा जाना था, लेकिन मात्र 3 हजार 266 बच्चों को स्कूल से जोड़ा गया है। इसी प्रकार निवाई में 3 हजार 932 की तुलना में 1 हजार 788, मालपुरा में 3 हजार 828 की तुलना में 1 हजार 692, टोडारायसिंह में 1 हजार 729 की तुलना में 777, उनियारा में 3 हजार 352 की तुलना में 2 हजार 243 ड्रॉप आउट को जोड़ा गया है।
ड्रॉपआउट सूची में फर्जी नाम
जिला शिक्षा अधिकारी जगदीशलाल वर्मा ने बताया कि चाइल्ड ट्रेकिंग सर्वे सूची में फर्जी नामों की भरमार है। इस वजह से ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूलों तक लाने का अभियान पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। अब उन अध्यापकों की पहचान की जा रही है जिन्होंने फर्जी नाम सूची में शामिल किए। जैसे ही उनका पता चलेगा, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

Tuesday, 19 July 2011

Tonk - Ladies also comming forward for child education ...........

राजस्थान  पत्रिका मीडिया एक्शन ग्रुप का नवाचार



निरक्षर महिलाओं की शिक्षा पंचायत
महिलाओं को नहीं पता

पिछले पन्द्रह दिनों से  टोंक जिले के कस्बाई क्षेत्रों में ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूलों से जोडऩे की मुहिम के दौरान सामने आया कि गांवों में गरीब और निरक्षर माताओं को  यह पता ही नहीं है कि  बच्चों को मुफ्त शिक्षा के लिए  उनके देश की सरकार ने ऐसा कानून बनाया है जिसके जरिए वे अपने घरों में दशकों से डेरा जमाए बैठे निरक्षरता के अभिशाप से मुक्ति पा सकती है, बल्कि अपने नौनिहालों को  शिक्षा से जोड़कर गरीबी को भी मार भगा सकती हैं।
अभियान  के दौरान सभी उपखण्डों, तहसीलों तथा ग्रामीण संवाददाताओं  और मीडिया एक्शन ग्रुप के कार्यकर्ताओं  का  ये  फीडबैक आ रहा था कि महिलाओं की भागीदारी के बिना अभियान को गति नहीं दी जा सकती।
अल्लापुरा में पहली पंचायत
इसी फीडबैक के आधार  पर  टोंक के पत्रिका  कार्यालय  ने  शिक्षा पंचायत के नवाचार के साथ महिलाओं को जोडऩे की  कोशिश करने का फैसला रविवार 17 जुलाई को किया। आनन-फानन में जिला परिषद, पंचायत समितियों और गांवों चार दर्जन से अधिक सरपंचों से दूरभाष पर  बात की गई। उनसे बातचीत के बाद सोमवार 18 जुलाई को जिला परिषद सदस्य नरेश  बंसल की पहल पर उनके निर्वाचन क्षेत्र की पंचायत ककोड़ के गांव अल्लापुरा में शिक्षा पंचायत लगाने का निर्णय करके सरपंच बजरंगलाल मीणा को सूचित किया गया।
सोमवार  18 जुलाई को टोंक पत्रिका के जिला प्रभारी मीडिया एक्शन ग्रुप की जिम्मेदारी सम्भाल रहे संवाददाता विनोद  शर्मा  व  फोटो जर्नलिस्ट पवन शर्मा के साथ  सुबह करीब 10:30 बजे टोंक-सवाईमाधोपुर रोड़ से आधा किलोमीटर नीचे स्थित अल्लापुरा गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय पहुंचे। जहां मुस्लिम बाहुल्य गांव की 75 महिलाएं और इतने ही पुरुष अपनी बेटियों व पुत्रों के साथ मौजूद थीं।
महिलाएं निरक्षर, पुरुष भी स्नातक नहीं
बिना किसी औपचारिकता के शिक्षा पंचायत शुरू हुई। पंचायत में आई महिलाओं से पहला सवाल  पूछा गया कि वे कितनी शिक्षित हैं? पंचायत में आई महिलाएं तीस से पचास आयुवर्ग की थी और उनका यह जवाब सुनकर पत्रिका टीम हतप्रभ रह गई कि वे सब निरक्षर हैं। पुरुषों में भी कोई स्नातक नहीं था। सर्वाधिक आश्चर्यजनक ये कि गांव में  बीस से पच्चीस आयुवर्ग का एक भी युवक स्नातक नहीं है। गांव से कोई भी सरकारी कर्मचारी नहीं है और किसी को भी शिक्षा के अनिवार्य कानून की जानकारी नहीं है।
हमारी बेटियां क्यों नहीं कमाएं लाख
पंचायत में मिले प्रश्नों के उत्तरों से हतप्रभ पत्रिका टीम ने महिलाओं को जब ये जानकारी दी कि शिक्षा प्राप्त करके आज देश की अनेक महिलाएं  प्रतिवर्ष  कई  करोड़ का वेतन कमाती है तो वहां आश्चर्य मिश्रित कानाफूसी का दौर शुरू हो गया। पंचायत में आई महिलाओं से बेटियों को स्कूल भेजने और उन्हें शिक्षित बनाकर अपने पैरों पर खड़े करने को कहा गया तो पुरुषों वाले हिस्से में कुछ भिनभिनाहट हुई लेकिन  तभी  गांव  की  निरक्षर  वार्ड पंच फातिमा बेगम  ने ये कहकर बम सा फोड़ दिया कि बेटियों को पढ़ाने में पुरुषों की रुचि ही नहीं है। उन्होंने बेलौस अंदाज में कहा कि जब देश की अन्य महिलाएं करोड़ों कमा सकती हैं तो उनकी बेटियां लाखों कमाने लायक आसानी से बन सकती हैं लेकिन इसके लिए पुरुषों को  बेटी पराया धन की पुरातन मानसिकता  को त्यागना होगा।
कोई बेटी नहीं रहेगी निरक्षर
फातिमा की इस बात ने  पंचायत का माहौल ही बदल दिया और थोड़ी देर पहले सकुचाकर घूंघट काढ़े बैठी तमाम महिलाओं ने खड़े होकर बेटियों को पढ़ाने का संकल्प ले लिया। महिलाओं का कहना था कि वे निरक्षर रहकर जिन समस्याओं का सामना कर रही हैं, उनकी बेटियों को अब उन समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा।
पंचायत में संकल्प ले रही महिलाओं ने एक बड़ी समस्या परिवहन की बताई। उनका कहना था कि गांव में स्कूल पांचवी तक है। आगे पढऩे चार किलोमीटर दूर ककोड़ जाना पड़ता है। अगर परिवहन की व्यवस्था हो जाए तो शायद किसी भी बालिका को ड्रॉपआउट होकर घर नहीं बैठना पड़ेगा। पंचायत में शामिल जिला परिषद सदस्य नरेश बंसल ने परिवहन समस्या का हल करने के लिए आश्वासन देने की अपेक्षा सीधे घोषणा की कि परिवहन की व्यवस्था वे करेंगे।
बस फिर क्या था, पंचायत में आई महिलाओं ने ककोड़ से आए न्यू आदर्श बाल विद्या निकेतन के संचालक मुकेश शर्मा को घेर लिया और फटाफट अपनी बेटियों के प्रवेश फार्म भरवा दिए। शेष 49 बालिकाओं के प्रवेश फार्म गांव के ही प्राथमिक स्कूल के लिए भरवा दिए गए। महिलाओं ने पत्रिका टीम को भरोसा दिलाया कि बालिकाएं हर हाल में प्रतिदिन स्कूल जाएंगी और किसी को भी घर वापस नहीं बिठाया जाएगा। अलबत्ता उन्होंने ये आग्रह भी किया कि पत्रिका टीम समय-समय पर उनकी सुध ले ताकि इस अभियान के दौरान आने वाले सम्भावित दबावों से निपटा जा सके।

मीडिया एक्शन ग्रुप
राजस्थान पत्रिका
टोंक
19 जुलाई 2011