मीडिया एक्शन ग्रुप, बूंदी
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खुद बांचेगी चिट्ठी
-काला कुआं की बालिकाओं का हिण्डोली कस्तूरबा गांधी विद्यालय में दाखिला
खुद बांचेगी चिट्ठी
-काला कुआं की बालिकाओं का हिण्डोली कस्तूरबा गांधी विद्यालय में दाखिला
बूंदी। भीमलत के जंगलों में स्थित खीण्या ग्राम पंचायत के काला कुआं गांव की बालिकाएं अब स्वयं चिट्ठी पढ़कर परिजनों को सुनाएंगी। यह संभव हो सका मीडिया एक्शन ग्रुप के प्रयासों से। गांव की १२ से १४ वर्ष की सभी ७ बालिकाओं का सर्वशिक्षा अभियान के सहयोग से हिण्डोली स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में दाखिला कराया गया है। अब इन बालिकाओं को रहने, पढऩे और भोजन सभी का खर्चा सर्वशिक्षा अभियान वहन करेगा।
तिलक कर किया अभिनंदन
कस्तूरबा गांधी विद्यालय पहुंची पार्वती, सोनिया, रोशनी, पूजा, विष्णु, ममता व विष्णु कुमारी सभी भील जाति का शुक्रवार को तिलक कर अभिनंदन किया गया। नोडल केन्द्र प्रभारी इसरार मोहमद, विद्यालय की वार्डन सुनिता शर्मा ने बालिकाओं का स्वागत किया।
१२ वर्ष की उम्र में देखी पाठशाला
शिक्षा से वंचित इन बालिकाओं ने बताया कि माता-पिता रोजना सुबह होते ही जंगल में बकरियां एवं मवेशी चराने भेज देते थे। दिनभर जंगल में रहकर शाम को घर आने के बाद मां के साथ खाना बनाने का जिमा होता था। कभी किताब हाथ में नहीं ली। अब यहां पाठशाला आकर खुश है।
पत्रिका बनी आवाज
काला कुआं गांव के अनपढ़ों की राजस्थान पत्रिका आवाज बनी। २२ जून के अंक में ‘चिट्ठी आई दौड़ो भाई’ शीर्षक से छपी खबर ने ग्रामीणों के अनपढ़ होने की पीड़ा को उजागर किया। सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े अधिकारी गांव में पहुंचे और सर्वे किया। ६ से १४ वर्ष आयु की बालिकाओं को आवासीय विद्यालय में दाखिले की योजना तैयार की।
तिलक कर किया अभिनंदन
कस्तूरबा गांधी विद्यालय पहुंची पार्वती, सोनिया, रोशनी, पूजा, विष्णु, ममता व विष्णु कुमारी सभी भील जाति का शुक्रवार को तिलक कर अभिनंदन किया गया। नोडल केन्द्र प्रभारी इसरार मोहमद, विद्यालय की वार्डन सुनिता शर्मा ने बालिकाओं का स्वागत किया।
१२ वर्ष की उम्र में देखी पाठशाला
शिक्षा से वंचित इन बालिकाओं ने बताया कि माता-पिता रोजना सुबह होते ही जंगल में बकरियां एवं मवेशी चराने भेज देते थे। दिनभर जंगल में रहकर शाम को घर आने के बाद मां के साथ खाना बनाने का जिमा होता था। कभी किताब हाथ में नहीं ली। अब यहां पाठशाला आकर खुश है।
पत्रिका बनी आवाज
काला कुआं गांव के अनपढ़ों की राजस्थान पत्रिका आवाज बनी। २२ जून के अंक में ‘चिट्ठी आई दौड़ो भाई’ शीर्षक से छपी खबर ने ग्रामीणों के अनपढ़ होने की पीड़ा को उजागर किया। सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े अधिकारी गांव में पहुंचे और सर्वे किया। ६ से १४ वर्ष आयु की बालिकाओं को आवासीय विद्यालय में दाखिले की योजना तैयार की।
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