ऐ खुदा अपने बन्दों को नेकी से अपने काम करने की तोफिक अता फरमा ..... आमीन
रमज़ान माह मे रोज़ा अफ्तारी के वक्त वार्ड न 15 के बाशिदों ने वतन में अमन चैन की दुआ मांगी और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सबसे पहले खुद दामन थामने का वादा किया साथ ही अपने अपने अनुभव भी बताये पत्रिका कनेक्ट के इस आयोजन में वार्ड पार्षद जनाब अनवर कादरी भी आये उन्होंने कहा की इस पाक माह में यह आयोजन ऐसा लग रहा है मानो खुदा का फरमान हो जिसमें वह अपने बन्दों को सही राह पर चलने की बात कह रहे हैं वार्ड पार्षद वक्त की कमी के चलते वे इफ्तारी में तो शामिल नहीं हो सके लेकिन पत्रिका कनेक्ट के हर काम के लिए साथ देने का वायदा किया |
जनाब रईस खान ने बताया की भ्रष्टाचार के चलते उन्होंने तीन साल पहले अपना काम छोड़ दिया,
जनाब रईस खान ने बताया की भ्रष्टाचार के चलते उन्होंने तीन साल पहले अपना काम छोड़ दिया,
उन्होंने बताया की वो अपने जीवनयापन के लिए ऑटो चलाया करते थे सुबह से शाम तक भरपूर मेहनत के बाद वो अपने घर की और घरवालों की जरूरतें पूरी कर पाते थे | क्योंकि एक ट्रैफिक पुलिस थानेदार के भ्रष्टाचारी रवैये ने उन्हें और उनके जैसे कई रिक्शा चालकों को परेशान कर रखा था , सारे कागज़ात पूरे होने के बावजूद उसे रोज़ का 100-50 रुपया देना ही पड़ता था न देने की बात करने पर उसका जवाब होता था अगर पैसा नहीं दिया तो इससे ज्यादा का चालान काट दूंगा और यह कहने पर की हमारे तो सारे कागज़ात पूरे हैं फिर कैसा चालान ? इस पर उसका कहना होता था की यातायात के इतने सारे नियम कायदे हैं की मैं शो रूम से निकली गाड़ी का भी चालान बना सकता हूँ इस सब की शिकायत जब उसके वरिष्ठ अधिकारी से की तो उसने भी मामले को टाल देने की सलाह दी|
इसके बारे में जब उस थानेदार को पता चला तो आये दिन रईस भाई को परेशान करने लगा आखिर कार रईस भाई ने ये काम छोड़ दिया |
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इसके बारे में जब उस थानेदार को पता चला तो आये दिन रईस भाई को परेशान करने लगा आखिर कार रईस भाई ने ये काम छोड़ दिया |
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वहीँ शाहीन परवेज़ ने बतया की उन्हें नगर निगम के चपरासी ने किस तरह रिशवत देने के लिए मजबूर किया जब वे अपनी दुकान का लाइसेंस बनवाने गए, इसे ईमानदारी से बनवाने के इरादे के कारण उनके ४ से ५ दिन ख़राब हो गए जब इसके लिए उन्होंने पैसा किया तो काम 1 दिन में हो गया|
इकबाल शेख और इरशाद अहमद ने बताया हम दोनों ही लोगो को बिजली कनेक्शन के लिए रिश्वत देनी पड़ी थी वर्ना जाने कितने दिनों तक हमारे घरों में अँधेरा छाया रहता .............................. ....
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