Monday 1 August 2011

Dungarpur - Impact of the RTE campaign .....................

(1)
अब नहीं होगी बूंदों के बीच पढ़ाई
- डीडी के निर्देश के बाद हुई विद्यालय की जांच

कार्यालय संवाददाता @  डूंगरपुर

जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोटाणा की सुध लेनी विभाग ने शुरू कर दी है। पत्रिका में 26 जुलाई के अंक में ‘बूंदों के बीच हो रही पढ़ाई’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार के बाद निदेशालय से मिले निर्देशों पर उपनिदेशक उदयपुर शांतिलाल खराड़ी ने जिला स्तरीय टीम गठित कर विद्यालय की विस्तृत रिपोर्ट देने के आदेश जारी किए। अगले ही दिन अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी के.एल. जोशी की अध्यक्षता में गठित टीम ने विद्यालय का निरीक्षण किया। निरीक्षण दौरान पाया कि विद्यालय की छत से पानी की निकासी नहीं होने से पूरा पानी दीवारों और छतों के माध्यम से कक्षा-कक्षों में आ रहा था। साथ ही एक तरफ की दीवारों पर बारिश का पानी सीधे आने से भी कक्षा-कक्षों में पानी आना पाया गया। दल ने विद्यालय का मुआयना तकनीकी अधिकारियों से कराने का आग्रह किया है। साथ ही संस्थाप्रधान को उपयुक्त मरमत के प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।

(2)
सतर्क हुआ महकमा

- विभाग ने स्थापित किया कंट्रोल रूप
- पर्यवेक्षक किए मनोनीत
- विद्यालयों में बढ़ा नामांकन
- आओं पढ़ाएं, सबको बढ़ाएं अभियान का असर

कार्यालय संवाददाता @ डूंगरपुर

शिक्षा के कानून अधिकार के तहत अधिक से अधिक बच्चों को विद्यालयों से जोड़े जाने के लिए राजस्थान पत्रिका और मीडिया एक्शन ग्रुप की ओर से चलाए गए ‘आओं पढ़ाएं, सबको बढ़ाएं’ अभियान के जिले में प्रभावी दस्तक के देने के बाद खुद विभाग भी काफी सर्तक हो गया तथा शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान पत्रिका और मीडिया एक्शन ग्रुप की अपील पर जिला कार्यालय एवं ब्लॉक कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए। इन नियंत्रण कक्षों के माध्यम से आरटीई न केवल विस्तृत जानकारी दी गई। देहात और सुदूरवर्ती क्षेत्रों के ग्रामीण अभिभावकों ने प्रवेश संबंधित जानकारी भी ली। इसके साथ ही विभाग ने विद्यालयों के नोडल संस्थाप्रधानों को पर्यवेक्षक तथा उन पर्यवेक्षकों के ऊपर भी मॉनिटरिंग के लिए माईक्रो ऑब्र्सवर लगाए।

(3)
शिक्षार्थी बिना शिक्षा का कानून
या
छू-मंतर हो गए दस हजार बच्चे

- नामांकन के बावजूद विद्यालयों नहीं हो पाया ठहराव
- बच्चों की मौजूदा स्थिति से अनभिज्ञ विभाग

कार्यालय संवाददाता @ डूंगरपुर

प्रदेश में शिक्षा के कानून अधिकार के तहत अधिक से अधिक बच्चों को विद्यालयों से जोड़े जाने के लक्ष्य के बावजूद जनजाति बहुल के इस पिछड़े डूंगरपुर जिले में विद्यालयों में नामांकन होने के बावजूद दस हजार से अधिक बच्चे विद्यालयों से छू-मंतर हो गए हैं। इन बच्चों की वस्तु स्थिति के बारे में किसी को अत्ता-पत्ता नहीं है कि उनके नाम चाईल्ड टे्रकिंग सर्वे में भी है या नहीं। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में छू-मंतर शिक्षार्थियों बिना जिले में शिक्षा कानून अधिकार डोलता नजर आ रहा है।

शिक्षा से दूर बच्चों की स्थिति
ब्लॉक        विद्यार्थी

आसपुर        5415
बिछीवाड़ा        401
डूंगरपुर        1109
सागवाड़ा        2410
सीमलवाड़ा        1636
कुल        10,971

एक से पांच में अधिक
विद्यालयों में नामांकन के बाद स्कूलों से ड्राप-आउट होने वाले बच्चों में सर्वाधिक बच्चे कक्षा एक से पांच है। इनकी संख्या नौ हजार 335 हैं। जबकि, उच्च प्राथमिक स्तर पर ड्राप-आउट की संख्या महज 1636 ही है। वहीं, ड्राप-आउट के मामले में लड़कों की संख्या अधिक है।

यह हैं प्रमुख कारण
. अभिभावकों को अशिक्षित एवं अजागरुक होना
. आर्थिक माली हालात खराब होने की वजह से बच्चों को श्रम में लगाना।
. बचपन से ही पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ
. जिले से सटे गुजरात में बीटी-कॉटन सहित विभिन्न श्रम में बच्चों को नियोजित करने की वजह से अभिभावकों का लालच।
. राजकीय विद्यालयों में भौतिक सुविधाओं का अभाव।

प्रयास जारी...
. यह मामला ध्यान में आया है। इसके लिए विभाग ने विशेष चार प्रपत्र तैयार किए हैं। इनमें शिक्षा से वंचित एक-एक बच्चे की जानकारी संकलित हो जाएगी। आरटीई के तहत समस्त बच्चों को स्कूलों से जोडऩे के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।
- केएल जोशी, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक

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