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Tuesday, 12 July 2011

Indore - child of daily wage labourer get enrolled in saint joseph school

इंदौर - देहाड़ी मजदूर का बेटा प्रीतम अब पढ़ेगा सेंट जोसफ में  


शिक्षा के अधिकार को असल हक़दार तक पंहुचाने के लिए मीडिया एक्शन ग्रुप- मैग ने अन्य सामाजिक और मानवीय मुदो के साथ क्रञ्जश्व  पर काम शुरू किया रोजाना इस मुद्दे पर बहस और जागरूकता के लिए बैठकें की गई. ओम प्रकाश ने भी अखबार पढ़ा. वो रोज़ की ही तरह मजदूरी की जुगाड़ में चौक पर गया था जंहा खड़े खड़े मजदूरी के इंतज़ार में वो अखबार पढने लगा और उसकी नज़र एक खबर पर अटक गई जिसे पढ़ते ही एक उसकी आँखों में भी कुछ सपने जगमगाने लगे की शायद उसका बच्चा भी बड़े स्कूल में पढ़ सकेगा.
उसने रोजाना पत्रिका पढना शुरू कर दिया लेकिन केवल अखबार पढने से ये सपना पूरा नहीं हो सकता था वो ये सोच ही रहा था कि क्या किया जाये और अगले दिन पत्रिका ने मैग की हेल्प लाइन का नंबर दिया. ओम प्रकाश नागराज  को अपने नन्हे बेटे प्रीतम नागराज की ज़िन्दगी एक सपने को पूरा करने का रास्ता मिल गया.मैग सहयोगियों कि मदद से प्रीतम को शहर के बडे स्कूल सेंट जोसफ मै दाखिला मिल गया. पर इसके बाद उसकी किताबो और युनिफार्म आदि का बंदोबस्त भी करना था सो मीडिया एक्शन ग्रुप की पहल पर विमल पाटीदार जैसे संवेदनशील नागरिक ने बच्चो कि ये कठिनाई भी दूर कर दी.


Indore - Both of the children reached school illiterate laborer

इंदौर- रमेश की दुनिया रोशन की नरेश ने


खुली मजदूरी करने वाले अनपढ़ रमेश के दोनों बच्चे पहुंचे स्कूल, नरेश बने भामाशाह
 स्कूल खुलने का समय लगभग करीब आ चुका था हर माँ बाप को यही बात सता रही थी कि क्या हमारे लाडले या लाडली  का दाखिला एक बड़े  स्कूल में हो पायेगा ? लेकिन ये फ़िक्र गरीब माता पिता कि नहीं थी, उन्हें निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के बारे में न जानकारी थी न उसके फायदे का अंदाज़. पत्रिका ने मुहिम शुरू की  लगातार शिक्षा के अधिकार के बारे में लिखा साथ ही ये भी पाया की सरकार ने कानून तो बना दिया पर उसे  जरुरत मंद जनता तक पहुचाने  में वो नाकामयाब हुई है.  तब  एक कदम और आगे बढ़ाते हुए मीडिया एक्शन ग्रुप ने इन् नन्ही आँखों के सपने साकार करने में साथ निभाने की जिमेदारी लेते हुये अन्य सामाजिक और मानवीय मुद्दों के साथ क्रञ्जश्व  पर काम शुरू किया. रोजाना इस मुद्दे पर बहस और जनचेतना  की बैठकें की ग.  लगभग रोज़ ही शहार की बस्तियों मैं इन्  बैठकों से लोगो को जानकारी और मदद मिलने लगी .
खुली मजदूरी करने वाले अनपढ़ रमेश के दोनों बच्चे पहुंचे स्कूल
इसी के  दौरान एक  झुगी बस्ती में मैग के कार्यकर्ता रमेश गवैई से मिले, गवैई के परिवार में बुजुर्ग माता  पिता के अलावा  पत्नी और दो बच्चे है बेटा आदित्य और बेटी पूजा गवई. पूरा परिवार चोइथराम सब्जी मंडी के पीछे झुगी बस्ती मैं रहता है. रमेश गवई फ्रुट मार्केट में खुली मजदूरी का काम करते है. गरीबी का आलंम ये है कि जिस दिन मजदूरी नही मिलती खाने के लाले हो जाते है और इसी लिये रमेश जी ने बठक के वक्त ही कहा कि मै  आपने बच्चो को इस लायक बनाना चाहता हुं कि इस गरीबी का साया तक भी इंन्हे न छू सके.और तभी से रमेश जी जो केवल अपना नाम लिखना जानते है मीडिया एक्शन ग्रुप के सहयोग से अपने बच्चे को दिगंबर पुब्लिक स्कूल में दाखिल करवाया. पूजा नर्सरी में और आदित्य पहली में दाखिल हो चुका है. और आखिर इन् नन्ही आँखों के सपने को पुरा करने का एक प्रयास पुरा हुआ .
लेकिन अभी बहुत उलझनें हैं. कानून में साफ़ तौर पर कहा गया है  कि स्कूल इस कानून के अंतर्गत किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे लेकिन किताबें और युनिफार्म बच्चे को ही खरीदनी पद रही हैं.  जितना बडा स्कूल उतनी ही महंगी किताबें और अब समाज के उस तबके को भी जोडना  ज़रूरी था  जो आर्थिक रूप से मजबूत है.मीडिया एक्शन ग्रुप के प्रयास रंग लाये एक  संवेदनशील साथी नरेश लालवाणी  ने पूजा और आदित्य के स्कूल की सारी जरुरी चीजे  दिलवा दी. अब पूजा और आदित्य अच्छी पढाई कर पाएंगे.
टिप्पणी: अभी बहुत पूजा और आदित्य हैं, जिन्हें समाज का सपोर्ट  चाहिए, निशुल्क मतलब बिलकुल मुफ्त होना चाहिए...है भी, .जहाँ गरीब की पढाई के लिए सभी ज़रुरत का कोई बोझ परिवार पर न हो, ये देश की ज़िम्मेदारी है की बिना अड़चन पढाई जारी रहे....