सरकारी फरमान को ठेंगा
-निजी स्कूलों में २५ फीसदी बच्चों को नहीं दिया प्रवेश
-सख्त कार्रवाई के अभाव में हौंसले बुलंद
-के.आर.मुण्डिण्यार/हिमांशु धवल
कुचामनसिटी, 5 अगस्त
जनप्रतिनिधियों एवं सरकारी विभाग के कारिन्दों की मिलीभगत के चलते प्राइवेट स्कूल संचालक स्वयंभू बनते जा रहे हैं। शिक्षा विभाग के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई के अभाव में इनके हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं। नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा विभाग की ओर निजी विद्यालयों में २५ फीसदी गरीब बच्चों को पूर्व प्राथमिक से लेकर पहली कक्षा में प्रवेश दिए जाने के निर्देश दिए गए थे। इसकी सूचना ३१ जुलाई तक संबंधित नोडल केन्द्र पर भिजवाई जानी थी। लेकिन माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक प्राइवेट स्कूल संचालकों ने उक्त निर्देश को दरकिनार कर दिया। उन्होंने इसकी सूचना तक देना मुनासिब नहीं समझा। क्षेत्र की कुछ स्कूलों ने ही सूची उपलब्ध कराई है।
केवल 3 स्कूलों ने ही माना आदेश
कुचामनसिटी नोडल क्षेत्र में ५३ निजी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। इसमें से जिजोट के टैगोर बाल शिक्षण संस्थान, टोडास के आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक एवं कुचामनसिटी के सांई बाबा निकेतन माध्यमिक विद्यालय ने २५ फीसदी दुर्बल वर्ग बच्चों को प्रवेश दिए जाने की सूचना उपलब्ध कराई। इसके अलावा ५० नामी स्कूलों ने सूचना एवं बच्चों को प्रवेश आदि देना मुनासिब तक ही नहीं समझा। सूत्रों के मुताबिक कई निजी स्कूलों ने दुर्बल वर्ग के ऐसे परिवारों को प्रवेश देने से इनकार करते हुए टरका दिया। ऐसे कई परिजनों ने जिला प्रशासन के अलावा शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को कुछ निजी स्कूलों की शिकायतें भी की है।
इसलिए हौसलें बुलंद!
गत दिनों शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने भी कुचामनसिटी की निजी स्कूलों की पैरवी करते हुए निजी स्कूलों को कमा-खाने की बात कही थी। शिक्षा मंत्री प्रेस के सवालों से उस समय इस कदर खफा हुए थे कि उससे साफ झलक रहा था कि निजी स्कूलों से उनका खासा लगाव है। इससे साफ हो गया हैकि न तो सरकार निजी स्कूलों पर लगाम रखना चाह रही हैऔर न शिक्षा विभाग को इसकी परवाह है। केवल आम जनता को गुमराह करने के लिए थोथे आदेश निकाले जा रहे हैं।
दर्द ना जाने कोई-
एक तरफनिजी स्कूलों की मनमर्जीके आगे शिक्षा विभाग नतमस्तक है। वहीं दूसरी ओर शहर में दुर्बल वर्ग के सैकड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित है। उन्हें निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है और न ही किसी भी निजी स्कूल ने सेवा भाव से ऐसे बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास किया है। कहने को भले ही शहर को शिक्षानगरी कहे, लेकिन यहां ेके हालात देखकर लगता हैकि यहां कुछ निजी स्कूलों की मनमर्जीके चलते शिक्षा का पेशासेवा के बजाय धन कमाने की लालसा की ओर बढ़ रहा है।
टेट परीक्षा में भी अवहेलना-
निजी स्कूलों की विभाग के आला अधिकारियों एवं सरकार तक ऊंची पकड़ होने के कारण वे किसी भी तरह के सरकारी फरमान की परवाह नहीं करते। गत दिनों अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) के लिए राजकीय जवाहर उच्च माध्यमिक स्कूल नोडल की ओर से एक निजी स्कूल से परीक्षार्थियों की व्यवस्था के लिए 150 टेबिल-कुर्सियों के सैट मांगे गए थे। लेकिन उस निजी स्कूल ने सैट देने की बात तो दूर, विभाग कार्मिकों से सीधे मुंह बात तक नहीं की। ऐसे में कार्मिकों को एक अन्य स्कूल से टेबिल-कुर्सियों की व्यवस्था करनी पड़ी।
यह हो सकती है कार्रवाई
राज्य सरकार व विभाग की ओर से समय-समय पर प्रसारित निर्देश एवं आदेशों की पालना समय-समय पर करनी होगी। वांछित सूचनाएं एवं उपलब्ध कराने होंगे। नियमों की अवहेलना करने पर संबंधित स्कूल की मान्यता रद्द करने का प्रावधान भी है।
-सख्त कार्रवाई के अभाव में हौंसले बुलंद
-के.आर.मुण्डिण्यार/हिमांशु धवल
कुचामनसिटी, 5 अगस्त
जनप्रतिनिधियों एवं सरकारी विभाग के कारिन्दों की मिलीभगत के चलते प्राइवेट स्कूल संचालक स्वयंभू बनते जा रहे हैं। शिक्षा विभाग के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई के अभाव में इनके हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं। नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा विभाग की ओर निजी विद्यालयों में २५ फीसदी गरीब बच्चों को पूर्व प्राथमिक से लेकर पहली कक्षा में प्रवेश दिए जाने के निर्देश दिए गए थे। इसकी सूचना ३१ जुलाई तक संबंधित नोडल केन्द्र पर भिजवाई जानी थी। लेकिन माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक प्राइवेट स्कूल संचालकों ने उक्त निर्देश को दरकिनार कर दिया। उन्होंने इसकी सूचना तक देना मुनासिब नहीं समझा। क्षेत्र की कुछ स्कूलों ने ही सूची उपलब्ध कराई है।
केवल 3 स्कूलों ने ही माना आदेश
कुचामनसिटी नोडल क्षेत्र में ५३ निजी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। इसमें से जिजोट के टैगोर बाल शिक्षण संस्थान, टोडास के आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक एवं कुचामनसिटी के सांई बाबा निकेतन माध्यमिक विद्यालय ने २५ फीसदी दुर्बल वर्ग बच्चों को प्रवेश दिए जाने की सूचना उपलब्ध कराई। इसके अलावा ५० नामी स्कूलों ने सूचना एवं बच्चों को प्रवेश आदि देना मुनासिब तक ही नहीं समझा। सूत्रों के मुताबिक कई निजी स्कूलों ने दुर्बल वर्ग के ऐसे परिवारों को प्रवेश देने से इनकार करते हुए टरका दिया। ऐसे कई परिजनों ने जिला प्रशासन के अलावा शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को कुछ निजी स्कूलों की शिकायतें भी की है।
इसलिए हौसलें बुलंद!
गत दिनों शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने भी कुचामनसिटी की निजी स्कूलों की पैरवी करते हुए निजी स्कूलों को कमा-खाने की बात कही थी। शिक्षा मंत्री प्रेस के सवालों से उस समय इस कदर खफा हुए थे कि उससे साफ झलक रहा था कि निजी स्कूलों से उनका खासा लगाव है। इससे साफ हो गया हैकि न तो सरकार निजी स्कूलों पर लगाम रखना चाह रही हैऔर न शिक्षा विभाग को इसकी परवाह है। केवल आम जनता को गुमराह करने के लिए थोथे आदेश निकाले जा रहे हैं।
दर्द ना जाने कोई-
एक तरफनिजी स्कूलों की मनमर्जीके आगे शिक्षा विभाग नतमस्तक है। वहीं दूसरी ओर शहर में दुर्बल वर्ग के सैकड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित है। उन्हें निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है और न ही किसी भी निजी स्कूल ने सेवा भाव से ऐसे बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास किया है। कहने को भले ही शहर को शिक्षानगरी कहे, लेकिन यहां ेके हालात देखकर लगता हैकि यहां कुछ निजी स्कूलों की मनमर्जीके चलते शिक्षा का पेशासेवा के बजाय धन कमाने की लालसा की ओर बढ़ रहा है।
टेट परीक्षा में भी अवहेलना-
निजी स्कूलों की विभाग के आला अधिकारियों एवं सरकार तक ऊंची पकड़ होने के कारण वे किसी भी तरह के सरकारी फरमान की परवाह नहीं करते। गत दिनों अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) के लिए राजकीय जवाहर उच्च माध्यमिक स्कूल नोडल की ओर से एक निजी स्कूल से परीक्षार्थियों की व्यवस्था के लिए 150 टेबिल-कुर्सियों के सैट मांगे गए थे। लेकिन उस निजी स्कूल ने सैट देने की बात तो दूर, विभाग कार्मिकों से सीधे मुंह बात तक नहीं की। ऐसे में कार्मिकों को एक अन्य स्कूल से टेबिल-कुर्सियों की व्यवस्था करनी पड़ी।
यह हो सकती है कार्रवाई
राज्य सरकार व विभाग की ओर से समय-समय पर प्रसारित निर्देश एवं आदेशों की पालना समय-समय पर करनी होगी। वांछित सूचनाएं एवं उपलब्ध कराने होंगे। नियमों की अवहेलना करने पर संबंधित स्कूल की मान्यता रद्द करने का प्रावधान भी है।
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