Tuesday 19 July 2011

Tonk - Ladies also comming forward for child education ...........

राजस्थान  पत्रिका मीडिया एक्शन ग्रुप का नवाचार



निरक्षर महिलाओं की शिक्षा पंचायत
महिलाओं को नहीं पता

पिछले पन्द्रह दिनों से  टोंक जिले के कस्बाई क्षेत्रों में ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूलों से जोडऩे की मुहिम के दौरान सामने आया कि गांवों में गरीब और निरक्षर माताओं को  यह पता ही नहीं है कि  बच्चों को मुफ्त शिक्षा के लिए  उनके देश की सरकार ने ऐसा कानून बनाया है जिसके जरिए वे अपने घरों में दशकों से डेरा जमाए बैठे निरक्षरता के अभिशाप से मुक्ति पा सकती है, बल्कि अपने नौनिहालों को  शिक्षा से जोड़कर गरीबी को भी मार भगा सकती हैं।
अभियान  के दौरान सभी उपखण्डों, तहसीलों तथा ग्रामीण संवाददाताओं  और मीडिया एक्शन ग्रुप के कार्यकर्ताओं  का  ये  फीडबैक आ रहा था कि महिलाओं की भागीदारी के बिना अभियान को गति नहीं दी जा सकती।
अल्लापुरा में पहली पंचायत
इसी फीडबैक के आधार  पर  टोंक के पत्रिका  कार्यालय  ने  शिक्षा पंचायत के नवाचार के साथ महिलाओं को जोडऩे की  कोशिश करने का फैसला रविवार 17 जुलाई को किया। आनन-फानन में जिला परिषद, पंचायत समितियों और गांवों चार दर्जन से अधिक सरपंचों से दूरभाष पर  बात की गई। उनसे बातचीत के बाद सोमवार 18 जुलाई को जिला परिषद सदस्य नरेश  बंसल की पहल पर उनके निर्वाचन क्षेत्र की पंचायत ककोड़ के गांव अल्लापुरा में शिक्षा पंचायत लगाने का निर्णय करके सरपंच बजरंगलाल मीणा को सूचित किया गया।
सोमवार  18 जुलाई को टोंक पत्रिका के जिला प्रभारी मीडिया एक्शन ग्रुप की जिम्मेदारी सम्भाल रहे संवाददाता विनोद  शर्मा  व  फोटो जर्नलिस्ट पवन शर्मा के साथ  सुबह करीब 10:30 बजे टोंक-सवाईमाधोपुर रोड़ से आधा किलोमीटर नीचे स्थित अल्लापुरा गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय पहुंचे। जहां मुस्लिम बाहुल्य गांव की 75 महिलाएं और इतने ही पुरुष अपनी बेटियों व पुत्रों के साथ मौजूद थीं।
महिलाएं निरक्षर, पुरुष भी स्नातक नहीं
बिना किसी औपचारिकता के शिक्षा पंचायत शुरू हुई। पंचायत में आई महिलाओं से पहला सवाल  पूछा गया कि वे कितनी शिक्षित हैं? पंचायत में आई महिलाएं तीस से पचास आयुवर्ग की थी और उनका यह जवाब सुनकर पत्रिका टीम हतप्रभ रह गई कि वे सब निरक्षर हैं। पुरुषों में भी कोई स्नातक नहीं था। सर्वाधिक आश्चर्यजनक ये कि गांव में  बीस से पच्चीस आयुवर्ग का एक भी युवक स्नातक नहीं है। गांव से कोई भी सरकारी कर्मचारी नहीं है और किसी को भी शिक्षा के अनिवार्य कानून की जानकारी नहीं है।
हमारी बेटियां क्यों नहीं कमाएं लाख
पंचायत में मिले प्रश्नों के उत्तरों से हतप्रभ पत्रिका टीम ने महिलाओं को जब ये जानकारी दी कि शिक्षा प्राप्त करके आज देश की अनेक महिलाएं  प्रतिवर्ष  कई  करोड़ का वेतन कमाती है तो वहां आश्चर्य मिश्रित कानाफूसी का दौर शुरू हो गया। पंचायत में आई महिलाओं से बेटियों को स्कूल भेजने और उन्हें शिक्षित बनाकर अपने पैरों पर खड़े करने को कहा गया तो पुरुषों वाले हिस्से में कुछ भिनभिनाहट हुई लेकिन  तभी  गांव  की  निरक्षर  वार्ड पंच फातिमा बेगम  ने ये कहकर बम सा फोड़ दिया कि बेटियों को पढ़ाने में पुरुषों की रुचि ही नहीं है। उन्होंने बेलौस अंदाज में कहा कि जब देश की अन्य महिलाएं करोड़ों कमा सकती हैं तो उनकी बेटियां लाखों कमाने लायक आसानी से बन सकती हैं लेकिन इसके लिए पुरुषों को  बेटी पराया धन की पुरातन मानसिकता  को त्यागना होगा।
कोई बेटी नहीं रहेगी निरक्षर
फातिमा की इस बात ने  पंचायत का माहौल ही बदल दिया और थोड़ी देर पहले सकुचाकर घूंघट काढ़े बैठी तमाम महिलाओं ने खड़े होकर बेटियों को पढ़ाने का संकल्प ले लिया। महिलाओं का कहना था कि वे निरक्षर रहकर जिन समस्याओं का सामना कर रही हैं, उनकी बेटियों को अब उन समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा।
पंचायत में संकल्प ले रही महिलाओं ने एक बड़ी समस्या परिवहन की बताई। उनका कहना था कि गांव में स्कूल पांचवी तक है। आगे पढऩे चार किलोमीटर दूर ककोड़ जाना पड़ता है। अगर परिवहन की व्यवस्था हो जाए तो शायद किसी भी बालिका को ड्रॉपआउट होकर घर नहीं बैठना पड़ेगा। पंचायत में शामिल जिला परिषद सदस्य नरेश बंसल ने परिवहन समस्या का हल करने के लिए आश्वासन देने की अपेक्षा सीधे घोषणा की कि परिवहन की व्यवस्था वे करेंगे।
बस फिर क्या था, पंचायत में आई महिलाओं ने ककोड़ से आए न्यू आदर्श बाल विद्या निकेतन के संचालक मुकेश शर्मा को घेर लिया और फटाफट अपनी बेटियों के प्रवेश फार्म भरवा दिए। शेष 49 बालिकाओं के प्रवेश फार्म गांव के ही प्राथमिक स्कूल के लिए भरवा दिए गए। महिलाओं ने पत्रिका टीम को भरोसा दिलाया कि बालिकाएं हर हाल में प्रतिदिन स्कूल जाएंगी और किसी को भी घर वापस नहीं बिठाया जाएगा। अलबत्ता उन्होंने ये आग्रह भी किया कि पत्रिका टीम समय-समय पर उनकी सुध ले ताकि इस अभियान के दौरान आने वाले सम्भावित दबावों से निपटा जा सके।

मीडिया एक्शन ग्रुप
राजस्थान पत्रिका
टोंक
19 जुलाई 2011

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