Wednesday 20 July 2011

Lot many issues unresolved...Free Education still a burden on parents???

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये....
प्रदेश में दूर दराज़ फैली पत्रिका की टीम ने जितने भी बच्चों को स्कूल की चौखट पर पंहुचाया है, उनके माता पिता दुआएं दे रहे हैं. अब ज़िम्मेदारी ये भी रहेगी कि  इनकी पढ़ाई लिखाई में रोड़े न आयें. गरीबी और मजदूर से बेदम हुए बच्चों को स्कूलों से लगाव रहे, पढ़ लिख कर वे अपने पैरों पर शान से खड़े हों....कुछ दर्द हैं जो रह रहकर उभर रहे हैं. 
दाखिल तो हो गए, अब बाकी का खर्च??
अभी दिल भारी है इस सोच से कि दाखिले तो हमने दिला दिए लेकिन स्कूल क़ी यूनीफोर्म, किताब, परिवहन और आये दिन होने वाले खर्च को ये परिवार कैसे वहन  करेंगे, कई जगह से खबर मिली कि अभिभावक लोन लेकर ये सब व्यवस्था कर रहे हैं...शर्मनाक है, मुफ्त शिक्षा का मतलब मुफ्त होना चाहिए.. कि गरीब का एक भी पैसा न लगे, ऐसे भी मामले सामने आये हैं कि अभिभावकों ने निजी स्कूलों कि आबोहवा और वहां उनसे हो रहे बर्ताव से आजिज़ आकर स्कूल छुडवा दिया....हमें भी इस पर नज़र रखनी है..फिलहाल तो समाज को थामना होगा हाथ, साथ साथ बात उठानी होगी common school क़ी,....
ये राह नहीं आसान, इतना तो समझ लीजे.. 
लड़ाई असल हकदारों तक फायदा पंहुचने क़ी भी है, मालूम हुआ कि 25 % वाली मुफ्त सीटों पर भी संपन्न तबको ने कब्ज़ा कर गरीबों का हक मार लिया...लानत है. हमारे साथियों ने कलाई खोली, बहुत अभी दुबके हैं, जल्द ही सामने आएगी सबकी असलियत. दुःख ये है कि असल हक़दार अनजान है, भोला भी, थोडा बेफिक्र भी और असंगठित भी. अब ऐसे में सरकारों ने २० हज़ार रूपए मासिक कमाने वाले को गरीब मान लिया हो तो हक तो मारा ही जाएगा वो भी पूरे हक के साथ....काश कपिल सिब्बल साहब सुन लें....राज्य सरकारें कैसी मनमानी कर रही है.
बढे चलें ....
कानून लाना और शोर गुल मचाना सबसे आसान है, लेकिन उसे लागू करना, मंशा ज़ाहिर करना और व्यवस्था कायम करना दूरंदेशी है. अभियान के ज़रिये हमने कानून की खामियों पर कम, मौजूदा प्रावधानों को अमल में लाने पर ज्यादा ध्यान दिया है....अभी मंजिल दूर है...गरीब बच्चों को मनपसंद और नजदीकी स्कूल में दाखिला मिले, उसकी पढाई लिखाई का बोझ परिवार पर न हो, परिवारवालों को अपने बच्चे की पढ़ाई की फ़िक्र हो, समाज का संपन्न तबका मदद को हाथ बढ़ाये, सरकारी अमला शर्मिंदगी महसूस करे और जुड़ना चाहे तो हमसे जुड़े, निर्वाचित प्रतिनिधि अपने निर्वाचन क्षेत्र विकास का पैसा बच्चों को शिक्षा दान के तौर पर भी खर्च करें...सामाजिक संगठन अपने संसाधनों का लाभ मुहिम को भी दें, नवाचार के ज़रिये लोगों का मुद्दे के प्रति उत्साह बना रहे...इलाकों के भामाशाह सहयोग के लिए सीधे वंचित वर्ग के संपर्क में आयें... अपने बच्चों क़ी अच्छी पढ़ाई क़ी चाहत मन में दबी न रहे...
अभी और जिलों से रपट आनी शुरू होगी और अभियान और गति पकड़ेगा.......
शहर का एक नागरिक एक बच्चे की उंगली थाम ले तो बच्चों के हाथ में आई कलम मददगारों के लिए दुआओं की और समाज के लिए  बुलंदियों की ताबीर लिखेंगी.

कल  से अजमेर, किशनगढ़, ब्यावर, चित्तौरगढ़, प्रतापगढ़, हनुमानगढ़, सूरतगढ़, सीकर, जालौर, झुंझुनू, भोपाल, उदयपुर, राजसमन्द ...से मुहिम की अपडेट शुरू हो जाएगी...
भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर के ब्यूरो से भी जल्द ही इनपुट मिलेगा...

 
क्षिप्रा माथुर
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