Tuesday 12 July 2011

गरीब और वंचित बच्चों को मिली अच्छी शिक्षा, अच्छे स्कूल, और असल मदद संचार के नवाचार, लोगो का जुडाव, और टीम में मनोबल

निजी स्कूलों के साथ ही सरकारी में भी दाखिले के प्रयास शुरू
सवाल : गरीब और वंचित कौन??
 25 अप्रेल को निजी स्कूलों में 25 % सीट्स पर गरीब बच्चों के दाखिले क़ी मुहिम शुरू क़ी थी. उससे पहले हमने इस मुद्दे पर काम करने वाली संस्थाओं से चर्चा की, लेकिन लगा कि बस बातें हैं, हमने व्यवस्थित तरीके से बच्चों क़ी पहचान क़ी, उनके दाखिले के लिए स्कूलों के पास गए, उनकी समझाइश क़ी, सामाजिक संगठनों को जोड़ा, हेल्प लाइन चलाई, लोगों को जोड़ा, अधिकार के बारे में जागरूकता लाये, गाँव को गोद लिया, संचार और लोगों के जुड़ाव के पारंपरिक तरीके अपनाये, पत्रिका कनेक्ट के ज़रिये साथ साथ खड़ी हुई जनता क़ी टीम इस पुण्य काम में हमारे साथ कंधे से कन्धा मिलकर साथ चली....3 राज्यों के करीब सभी जिलों में ये अभियान चला, चल रहा है....हजारों का कारवां है, आंकड़ों में भी ज़बरदस्त तेज़ी है हमारी सीढ़ी दखल से अब तक करीब 1000 बच्चे स्कूल पहुच चुके हैं, आधिकारिक आंकड़ों में 50,000 से ज्यादा बच्चे स्कूल जाने क़ी ख़ुशी महसूस कर रहे हैं,यहाँ इस प्रावधान को लागू करने में पत्रिका - मैग के इस संपादकीय अभियान का दबाव और जनजागरूकता दोनों का योगदान रहा. ....हमारे ज़रिये चिह्नित किये गए बच्चों की सूची सरकारी नुमाइंदों से शेयर क़ी है, और भामाशाहों से भी....बच्चों को बस्ता, वर्दी का उपहार देने बहुत लोग आगे आये हैं, कुछ ने बच्चों को पढाई के लिए गोद लिया है....अब इलाके के जनप्रतिनिधि और सरकारी अमला भी साथ आने को आतुर है....
जो काम हम मीडिया और अपने संवाददाताओं के ज़रिये कर सकते है वो तमाम सरकारी - गैर सरकारी संस्थाएं अंजाम नहीं दे सकती. वे सिर्फ पैसा बहाना जानती हैं, हम सिर्फ जनता, बेहतर मंशा और अखबार के बूते जो किया वो मन को बहुत सुकून दे रहा है,  और अखबार को ताकत. हमारी टीम के लिए काम करने का नया रास्ता तैयार कर रहा है.
जो प्रतिक्रिया पाठकों क़ी, प्रदेश के भामाशाहों क़ी, स्थानीय पार्षदों, विधायकों और सांसदों क़ी, जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग क़ी मिल रही है...अभूतपूर्व है, सामाजिक संगठनों ने भी आगे बढ़कर सहयोग किया है.
हमें समझना है की गरीब और वंचित कौन??  राजस्थान में 20 ,000 की मासिक आय वाले परिवारों को गरीब मान लिया गया है, चाहें तो सरकारी शिक्षा विभाग की site पर notification देख लें, यानी असल गरीब फिर वंचित ही रहेगा?? आगे इस अभियान में इस पर भी बात होगी...
संवाददाताओं में - करौली के सुनील, डूंगरपुर के मिलन, भीलवारा के भुवनेश, इंदौर क़ी नुपुर, जोधपुर क़ी मधु और कोटा क़ी टीम सभी बेहद उत्साह से काम कर रहे हैं. सबको बधाई, सबका आभार.



क्षिप्रा

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