आपदाजनक स्थिति में क्या करें, कैसे खुद को बचाएं? मंगलवार, 18 अक्टूबर को मीडिया एक्शन ग्रुप की ओर से डॉक्टर बी लाल इंस्टीट्यूट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन के गुर सिखाए गए।
आपदाएं बताकर नहीं आतीं, उनके अचानक सामने आने पर बचने के तरीकों की जानकारी होना मुमकिन नहीं है। ऐसे में इन गुरों के बारे में पहले से जानना कारगर साबित होगा, यह कहना था सिविल डिफेंस में बतौर कंट्रोलर कार्यरत फूलचंद का। सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे फूलचंद ने उपस्थित छात्रों को इन तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कुछ अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला-
आग की लपटों में फंसे लोगों को बचाने के लिए रस्सी का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन रस्सी नहीं होने पर साड़ी या किसी दूसरे कपड़े में भी गांठें बांधकर रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
आग लगने की स्थिति में व्यक्ति कमरे की दीवार के सहारे-सहारे चलते हुए स्वयं को बचाए रख सकता है।
जिस स्थान पर आग लगी हुई है, वहां खिड़की-दरवाजे नहीं खोलें। ऐसा करने पर आग की लपटें अधिक फैल सकती हैं।
आपदाजनक स्थिति में फंसे व्यक्ति के बचाव के लिए यह आवश्यक है कि उस स्थान पर मदद के लिए पहुंचने वाला व्यक्ति प्रशिक्षित और कुशल हो। वह स्थिति को भली-भांति पहचाने, समझे और इसी आधार पर निर्णय ले।
आपदाएं बताकर नहीं आतीं, उनके अचानक सामने आने पर बचने के तरीकों की जानकारी होना मुमकिन नहीं है। ऐसे में इन गुरों के बारे में पहले से जानना कारगर साबित होगा, यह कहना था सिविल डिफेंस में बतौर कंट्रोलर कार्यरत फूलचंद का। सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे फूलचंद ने उपस्थित छात्रों को इन तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कुछ अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला-
किसी जगह पर आग लगने की स्थिति में जल रही वस्तु को बचाना तो संभव नहीं है, लेकिन आग की लपटों को फैलने से रोकने का प्रयास कर संभावित नुकसान से बचा जा सकता है।
आग की लपटों में फंसे लोगों को बचाने के लिए रस्सी का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन रस्सी नहीं होने पर साड़ी या किसी दूसरे कपड़े में भी गांठें बांधकर रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
आग लगने की स्थिति में व्यक्ति कमरे की दीवार के सहारे-सहारे चलते हुए स्वयं को बचाए रख सकता है।
जिस स्थान पर आग लगी हुई है, वहां खिड़की-दरवाजे नहीं खोलें। ऐसा करने पर आग की लपटें अधिक फैल सकती हैं।
आपदाजनक स्थिति में फंसे व्यक्ति के बचाव के लिए यह आवश्यक है कि उस स्थान पर मदद के लिए पहुंचने वाला व्यक्ति प्रशिक्षित और कुशल हो। वह स्थिति को भली-भांति पहचाने, समझे और इसी आधार पर निर्णय ले।
सेमिनार में इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉक्टर बी लाल गुप्ता और प्रधानाध्यापिका डॉक्टर अपर्णा दत्ता उपस्थित रहे। आर्मर फायर प्रोटेक्शन से जुड़े विजेंद्र सिंह ने छात्रों को आग बुझाने के तरीकों को प्रायोगिक रूप में दिखाया। आयोजन में मीडिया एक्शन ग्रुप की डिविजन हैड क्षिप्रा माथुर उपस्थित रहीं। मैग कार्यकर्ता अमित सक्सेना ने भी सेमिनार में सराहनीय भूमिका का निर्वहन किया। सेमिनार के माध्यम से मैग ने युवा छात्रों को आपदा प्रबंधन के गुर सिखाने के अतिरिक्त उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने और दूसरों की मदद को आगे आने के लिए प्रेरित किया। सेमिनार की सफलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इंस्टीट्यूट के छात्रों ने ना केवल सक्रिय उपस्थिति दर्ज की, बल्कि कुछ छात्रों ने मीडिया एक्शन ग्रुप में इनरॉलमेंट भी करवाया। जहां इंस्टीट्यूट के प्राध्यापकों गोकुलेंद्र सिंह भाटी, डॉक्टर सोनिका सक्सेना, डॉक्टर सारिका गुप्ता, विगी चौधरी और डॉक्टर अनामिका पाराशर ने इनरॉलमेंट करवाया, वहीं छात्रों में अंशुजा चार्वी पांडे, प्रीति देवनानी, खुशबू खंडेलवाल, श्याम सुंदर आलोरिया, श्रीकांत वैष्णव, सिद्धार्थ गर्ग, अन्नू कुमारी, साक्षी, जितेंद्र मालव, अमिचंद सैनी, उमेश कुमार धवन, मृत्युंजय पाठक, शिवम पांडे, गीतांजलि भारती, अपूर्वा चक्रवर्ती, स्वाति गुप्ता, पूर्वा अग्रवाल, अमन डोंगरे, शंकर लाल प्रजापत, योगेश कुमार जैलिया, ममता द्रीपल, नीलम शर्मा, गुंजन रिठा, मुर्धर शेखावत, करिश्मा शेखावत, रवि पटेल, महेश कुमार, अजय कुमार, विक्रम सावरिया, रविन्द्र सिंह, तृप्ति रिचारिया, पीयूष पाठक, मोहिनी मेंहदीरत्ता, हिमानी मीणा, येदुराज सिंह, शिवानी शर्मा और राहुल राजावत ने इनरॉलमेंट करवाया।
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